तू है नही भक्ति की गीत
तू है नहीं भक्ति की गीत,
तू तो शक्ति की मीसाल है
छोड़ सारी पुरानी रीत,
एक नया संसार तेरे लिए खड़ा है।
बँधे हुए जो तुझे,
जला कर राख कर दे उन पिंजरो को
इन राख को अपने माथे पर सजाकर
चल पड सूर्योदय को।
तोड़ दे अपनी हाथो की कडियाँ,
उठा फेंक कर दे भस्म
तोड़ दे अब तू सारी बेडियाँ,
मीटा दे सारे रुढ रस्म ।
यह संसार है क्यों, केवल तेरे लिए ही रुढ ?
यह संसार है क्यों, केवल तेरे लिए ही क्रूर ?
तू फूलों के समान कोमल नहीं,
तू शक्तिशाली आँधी और तूफान है।
हटा दे तू अपने आसमान से,
काले बादल का अभिशाप।
रोशन कर दे अपने मार्ग दीपक से,
और चल पड संसार में लेकर अभिमान।
बना ले तू अपनी एक नयी पहचान
बना ले तू अपना एक नया वजूद
दे संसार को अपने होने का सुबूत
तू कमज़ोर नहीं बस है अपने से अनजान।
तू होना ना अपने लक्ष्य से विचलित
देखकर संसार का आडम्बर ,
कर दे अपने को सम्मिलित
तोड़कर दायरो के आँगन ।
तू है नहीं भक्ति की गीत,
तू तो शक्ति की मीसाल है
छोड सब पुरानी रीत
एक नया संसार तेरे लिए खड़ा है।
(@प्रियादर्शिनी)
Beautifully composed. Carry on good work.
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thank you…once again!! 🙂
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You have written this beautifully. 👍🏼 Liked it a lot. 😊
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i m glad u liked it
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Well done
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